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Life is Just a Life: क्षणिका - इन्तजार

Written By नीरज द्विवेदी on शुक्रवार, 23 मई 2014 | 8:25 am

Life is Just a Life: क्षणिका - इन्तजार:

क्षणिका - इन्तजार

पाना
केवल पलभर का ...
और इन्तजार की हद क्या है ?
क्यों
एक पल से
काम चलाऊं ...
सदियों के
इन्तजार से


बेहतर क्या है?
-- नीरज द्विवेदी 

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