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दाढ़ी वाली मल्लिका शेरावत

Written By प्रदीप नील वसिष्ठ on रविवार, 26 अगस्त 2012 | 1:33 pm



आदरणीय अन्ना अंकल ,
कल राम औतार अखबार ले कर भागा-भागा आया और बोला " मेरी फोटो छपी है, तुमने देखी ?"
मैंने फोटो सुबह ही देख ली थी जिसमें राम औतार गधे पर बैठा था ,गले में जूत्तों की माला और चारों तरफ पुलिस वाले. मुझे तो यह फोटो देखने में ही शरम आ रही थी और इधर यह राम औतार फोटो यूँ दिखा रहा था मानो फोटो ना हो कर  कोई गोल्ड मैडल हो .
मैंने कहा " इस उम्र में तुम्हे यह क्या सूझी राम औतार कि अपनी बेटी की उम्र की लड़की छेड़ दी ?"
राम औतार हंसने लगा " इस अखबार के सम्पादक को नीचा दिखाना था, दिखा दिया ."
मैंने पूछा " उसकी लड़की छेड़ कर ?"
राम औतार फिर हंसा " नहीं यार , उसके अखबार में अपनी फोटो छपवा कर ."
मैं हैरान रह गया , मैंने कहा " फोटो तुम्हारी छपी और नीचा उसने देखा ? मैं कुछ समझा नहीं ."
राम औतार बोला " समझाता हूँ . वैसे तो कहानी बहुत लम्बी है पर सारांश यह कि पिछले महीने मुझे दस लाख रुपयों से भरा एक बैग सडक पर पड़ा  मिला था. मैंने उसके मालिक को ढूंढकर बैग लौटा दिया. तब इस अखबार वाले ने यह समाचार सिर्फ दो लाइनों में छापा था और वे दो लाइनें भी पता है कहाँ ? सातवें  पेज पर खोया-पाया और टेंडर-नोटिस के विज्ञापनों के बीच ."
मैंने कहा " ओह तभी उस समाचार पर मेरी निगाह नहीं पड़ी..."
राम औतार ने कहा " तुम्हारी क्या किसी की नहीं पड़ी . खुद मुझे चश्मा लगा कर वह खबर ढूंढनी पड़ी थी "
मैंने कहा " बहुत बुरी बात है . उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था, बल्कि ऐसी न्यूज़ तो फोटो समेत फ्रंट-पेज पर छापनी थी..."
राम औतार बोला " तुम्हारी कही यही बात जब मैंने सम्पादक से कही तो वो चिढ गया .कहने लगा तू कोई मल्लिका शेरावत है जो तुझे फ्रंट-पेज पर छापूँ ? सातवें पेज पर भी न्यूज़ इसलिए छाप दी कि एक विज्ञापन आना था और वो आया नहीं इसलिए जगह बची हुई थी ."
मैंने पूछा " फिर ? "
राम औतार बोला " मैंने सम्पादक को धमका दिया और कह दिया कि एक दिन ऐसा भी आएगा  जब दाड़ी वाले बदसूरत राम औतार नाम की इस मल्लिका शेरावत की फोटो तू ही छपेगा और वह भी फ्रंट-पेज पर. बस फिर तो वह बहुत चिढ गया और बोला ऐसा इस जन्म  में तो होगा नहीं क्योंकि हमने अखबार बेचना है , बंद नहीं कराना ."
मैंने कहा " चल आज उसको चिढा कर आते हैं कि राम औतार की फोटो तुमने ही ..."
राम औतार बोला " मै वहीँ से आ रहा हूँ . सम्पादक ने न केवल मुझे चाय  पिलाई बल्कि पिछली बातों के लिए माफ़ी भी मांगी ."
मै हैरान रह गया , मैंने कहा " तुमने पूछा नहीं कि अब फोटो कैसे छाप दी ?"
राम औतार हंसा " चाय पीते-पीते पूछा था ."
मैंने डरते-डरते पूछा " सम्पादक क्या बोला ? "
राम औतार बोला " कुछ नहीं यार , सर झुका कर बोला हमने अख़बार बेचना है .."
अब मैं  या आप क्या बोलें अंकल , सम्पादक ने एक लाइन में सब कुछ ही तो कह दिया .
आपका अपना बच्चा
मन का सच्चा,
अक्ल का कच्चा
प्रदीप नील 
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