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Home » » अमीरों के महलों में में रोशनी है ,हमारे पसीने से , खामोस हैं सभी मुफलिस फ़क़त मतलब है जीने से , रोटी दो वक़्त की मिल जाये शान से, इससे बढ़ कर और क्या माँगे भगवान से, हँसी , ख़ुशी, प्यार के अल्फ़ाज, नगमे, तराने,बजते हुए साज, कहाँ नसीब हैं हम बदनसीबों को , दुनिया इंसान कहाँ समझती है हम गरीबों को, ताक़तवर कभी नहीं चूकता मजलूमों को दबाने से , अमीरों के महलों में रौशनी है हमारे पसीने से ............

अमीरों के महलों में में रोशनी है ,हमारे पसीने से , खामोस हैं सभी मुफलिस फ़क़त मतलब है जीने से , रोटी दो वक़्त की मिल जाये शान से, इससे बढ़ कर और क्या माँगे भगवान से, हँसी , ख़ुशी, प्यार के अल्फ़ाज, नगमे, तराने,बजते हुए साज, कहाँ नसीब हैं हम बदनसीबों को , दुनिया इंसान कहाँ समझती है हम गरीबों को, ताक़तवर कभी नहीं चूकता मजलूमों को दबाने से , अमीरों के महलों में रौशनी है हमारे पसीने से ............

Written By Anurag Anant on बुधवार, 2 नवंबर 2011 | 11:06 am

अमीरों के महलों में में रोशनी है ,हमारे पसीने से ,
 खामोस हैं सभी मुफलिस फ़क़त मतलब है जीने से ,
 रोटी दो वक़्त की मिल जाये शान  से,
इससे बढ़ कर और क्या माँगे भगवान से,
हँसी , ख़ुशी, प्यार के अल्फ़ाज,
नगमे, तराने,बजते हुए साज,
 कहाँ नसीब हैं हम बदनसीबों को ,
दुनिया इंसान कहाँ समझती है हम गरीबों को,
ताक़तवर कभी नहीं चूकता मजलूमों को दबाने से ,
 अमीरों के महलों में रौशनी है हमारे पसीने से ............
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