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कहाँ है भगत सिंह की दुल्हन ?

Written By प्रदीप नील वसिष्ठ on शनिवार, 12 नवंबर 2011 | 10:36 am

कहाँ है भगत सिंह की दुल्हन ?

 आदरणीय अन्ना अंकल,
कल मैंने हमारी कक्षा की दो लड़कियों की बातें छुप कर सुनी।, आपको बता दूं
” भगत सिंह कितना रोमांटिक रहा होगा, ना?“
” तुम्हे कैसे पता ?“
” क्यों हिस्ट्री के पीरियड में मैडम बता तो रही थी कि उसने सपने तो देखे किसी ”क्रान्ति“ के लेकिन दुल्हन बना लिया ”आज़ादी“ को . इसी अफेयर की वज़ह से तो उसे प्राण भी गंवाने पडे़ .“
” सो सैड. मारा गया बेचारा. मैं तो कहती हूं यह ओनर-किलिंग रही होगी “
” सो तो है ही. इस क्रान्ति ने भी जाने कितने लड़कों को मरवाया होगा “
” यू मीन, क्रान्ति इतनी बेकार है?“
”और नहीं तो क्या ? नहीं तो आज़ भी लड़के हमारी बजाए उसी के पीछे न भागते?“
” सही कहा. वैसे टीचर ने क्या बताया भगत सिंह की दुल्हन का क्या हुआ?“
” स्टुपिड ओनर-किलिंग एक तरफा नहीं होती . किसी न किसी ने तो उसे भी ज़रूर ही मारा या टार्चर किया होगा?“
     अंकल जी उसके बाद की बातें नहीं सुन पाया क्योंकि चेतना और जागृति नाम की ये दोनों लड़कियां विवेक और चेतन्य नाम के लड़कों के साथ गप्पें हांकने लगी, जो इन्हे खोजते हुए यहां आ गये थे.
   अंकल जी आप ही बताईये, जिस देश  की चेतना और जागृति इतनी स्टुपिड हों , और जिस देश  के विवेक और चेतन्य उनके पीछे चक्कर काटते हों, उस देश  को गुलाम होने से कोई रोक सकता है?
       वैसे उन बेवकूफ लड़कियों के एक सवाल में मैं अभी तक उलझा हूं कि भगत सिंह की दुल्हन का क्या बना होगा ? भगत सिंह की ओनर-किलिंग तो सभी जानते हैं किसने की थी .
आपका अपना बच्चा
मन का सच्चा
अकल का कच्चा
प्रदीप नील
                                 
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9 टिप्पणियाँ:

Rahul Paliwal ने कहा…

Very Creative, Sensible and eye opener!!

मन के - मनके ने कहा…

सही कहा,इतिहास भी,समयनुसार अर्थ बदलता है.

अनुपमा पाठक ने कहा…

रचनात्मक तरीके से गंभीर बात प्रेषित करने के लिए बधाई!

चंदन ने कहा…

बहुत ही सही बात पंहुंचा दी आपने महोदय!

प्रदीप नील वसिष्ठ ने कहा…

आदरणीय मयंक जी ,
यह आपका प्यार है जो मेरी रचनाओं को बार बार चर्चा-मंच पर ले जाता है
आपके इस प्रयास से मुझे बहुत संबल मिलता है , और सृजन के लिए शक्ति
आपका सनेह बना रहे यही कामना है
आभारी
प्रदीप नील

प्रदीप नील वसिष्ठ ने कहा…

@ मन के - मनके
इतिहास अर्थ बदलता है और लेखक की सोच और रचना-प्रक्रिया भी
आपकी इस दूसरी टिपण्णी के लिए आभारी हूँ
सनेह बनाए रखिएगा
सादर
प्रदीप नील

प्रदीप नील वसिष्ठ ने कहा…

@ Rahul Paliwal
Thank you very much,sir
I feel obliged for receiving just three words from you

प्रदीप नील वसिष्ठ ने कहा…

@ अनुपमा पाठक
आपने समय निकाला और मेरा उत्साहवर्धन किया ,मेरा सौभाग्य है
मेरे ब्लॉग www.neel-pardeep.blogspot.com पर आपका स्वागत है जहाँ ऐसी ही और रचनाएँ आप पढ़ पाएंगी
धन्यवाद सहित
प्रदीप नील

प्रदीप नील वसिष्ठ ने कहा…

@ चन्दन...
सही बात . बस यह आपकी , सबकी और मेरी बात भी थी
आपने समय निकाल कर टिपण्णी दी ,आभारी हूँ
किसी लेखक के लिए कमेंट्स ही असली पूंजी होती है ,इतना तो आप भी जानते हैं
साभार
प्रदीप नील

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