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पञ्च - न्याय की प्रक्रिया

Written By Brahmachari Prahladanand on रविवार, 16 अक्तूबर 2011 | 7:56 am


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पञ्च - न्याय की प्रक्रिया,
ढोल, गँवार, नौकर, पशु, नारी,
यह पांच पञ्च होते हैं,
जो की किसी की भी सीरत को ताड़ जाते हैं,

अगर किसी को पहचानना है,
तो उसको इन पाँचों के सामने से गुजारना चाहिए,
उसके बारे में सब पता चल जाएगा,
ढोल यानी आजकल की काल बेल,

या दरवाज़े का खड़खडाना,
जैसे संगीत सिखाने,
वाला ढोल के ऊपर की पहली थाप से ही जान जाता है,
की यह किस किस्म का है,

उसी प्रकार दरवाज़े की कोल बेल
बजाने के तरीके से उसके बारे में पता चल जाता है,
फिर उसके सामने दरवाज़े पर,
पशु या कुत्ता बैठा दो,

तो कुत्ता भी आदमी की सीरत ताड़ लेता है,
फिर उसके सामने गँवार को ला दो,
तो वह गँवार के साथ कैसे पेश आता है,
इससे भी सीरत को जाना जा सकता है,

अक्सर लोग गँवार आदमी को,
बेवक़ूफ़ और गँवार समझ कर,
न जाने उसके सामने,
क्या-क्या कह जाते हैं,

फिर नौकर को सामने लाओ,
नौकर उसके चाल-ढाल से,
उठने-बैठने से,
उसके पेश आने के तरीके से,

ताड़ जाता है की यह कौन है,
फिर स्त्री को सामने लाओ,
स्त्री के सामने आते ही,
स्त्री उसके बारे में पूरा ताड़ जाती है उसकी सीरत को,

तभी तो बड़े आदमी सेक्रेटरी नारी को रखते हैं,
क्यूंकि वो आखरी है उनके पास आने की दीवार,
जैसे माया के उस पार परमात्मा है,
वैसे है सेक्रेटरी के उस पार मालिक है,

तो यह किसी भी के बारे में,
ताड़ने के पञ्च तरीके,
इन पांच तरीको से किसी की भी सीरत को,
जाना जा सकता है,

किन्तु इन पांचो तरीकों को,
आड़ में रखा जाता है,
और एक दम सामने लाया जाता है,
तभी किसी की सीरत का पता चलता है,

नहीं तो वह अपने को संभाल लेगा,
तो जासूसी में इन्ही पांच का उपयोग होता है,
जासूसी यानी ताड़ना,
यानी नज़र रखना,

ढोल रख दो, हर आदमी की आदत है,
की वह बिना बजाए आगे नहीं बढेगा,
इससे एक तो वह अपने आने की खबर देगा,
दूसरा उस पर अपनी उँगलियों की छाप छोड़ देगा,

कुत्ता तो फिर माहिर ही है,
जासूसी में, वह तो सूंघकर सब जान जाता है,
गँवार भी गँवार नहीं होता है,
गँवार बनकर बहुत लोग,

बहुत कुछ किसी के बारे में,
ताड़ लेते हैं,
और लोग किसी को गँवार समझ कर,
उसे अपना हमराज़ बना लेते हैं,

की यह गँवार क्या जाने,
नौकर तो जासूसी करवाने का सबसे पुराना तरीका है,
तभी तो नौकर सब खानदानी पसंद करते हैं
और नौकर भी अपने ही आदमी को नौकर रखता है,

क्यूंकि नौकर जितना उस घर के बारे में,
जानता है उतना मालिक भी नहीं जानता है,
तो नौकर उस घर के राज़ अपने परिवार वाले को बताकर ही,
उसे नौकर भी रखता है,

और किसी को किसी के यहाँ की कोई बात,
निकलवानी हो तो नौकर ही जासूस बनता है,
ऐसे नौकर बनकर जासूसी का काम बहुत लोग करते हैं,
और इसलिए लोग वफादार नौकर ढूंढते हैं,

नारी यह तो जासूसी का सबसे पुराना हथियार है,
जब सारे हथियार फेल हो जाते हैं,
तब यह जासूसी का हथियार काम में लाया जाता है,
और इसके सफल होने की गारंटी सौ प्रतिशत होती है,

क्यूंकि नारी दो मिनट में किसी के भी दिल की बात बाहर निकलवा सकती है,
उसके अपने तरीके होते हैं,
कई तो नारी को देखते ही,
सारा का सारा सच उगल देते हैं,

इसलिए कमज़ोर राजा हमेशा अपनी बहन या बेटी को,
ताकतवर राजा की रानी बना देते थे,
और उस के माध्यम से वह वहाँ से,
उस राज्य की खबर पाते थे,

और तभी तो ताकतवर राजा की बहुत-सी रानियाँ होती थी,
जो की इसका सबूत होती थी,
की उसके नियंत्रण में कितने कमज़ोर राज्य हैं,
और कितने कमज़ोर राज्यों के पास, उसके राज़ अपने आप जा रहे हैं,

तो यह है पञ्च की पञ्च व्यवस्था,
जिसको भी गर जिन्दगी में,
बिना उसके बताये,
बहुत कुछ जानना है तो यह पाँच साधन हैं,

क्यूंकि यह साधन हैं,
तो इनके लिए,
धन खर्च करना पड़ेगा,
तभी यह ताड़ पायेंगे,

नहीं तो ढोल खरीद नहीं पायेंगे,
कुत्ता न पाल पायेंगे,
गँवार को न संभाल पायेंगे,
नौकर न रख पायेगे,

नारी को न फुसला पायेंगे,
तो इन सब के लिए,
धन को लाना होगा,
फिर इनसे किसी को तडवाना होगा,

जब किसी के बारे में,
ताड़ गए,
तो फिर क्या उसके सामने अड़ गए,
और अपना काम कर आगे बढ गए,

और इन पाँचों को हमेशा आड़ में ही रखना होगा,
नहीं तो इनको जो धन देगा ये उसी के लिए ताड़ेंगे भी,
तो वफ़ादारी इसी को कहते हैं,
की कोई भी आपसे पूंछे बिना दर को न पार करे आपके,

इसके लिए आप को एक दरबान या पहरेदार रखना पड़ेगा,
जो इनपर नज़र रखेगा,
की कोई बिना पूंछे आपकी दर
यानी दरवाज़ा तो पार नहीं कर रहा है,
यानी ढोल आपका तो कोई मांग कर नहीं ले गया,
नहीं तो वह वहाँ से उन्गिलियों के निशान उठा लेगा,

दरबान ऐसा होना चाहिए,
जिससे सब डरें,
कोई उससे न बात करे,
और सब उससे दूर-ही-दूर रहें,
खबर उससे सबकी लेते रहो,
कौन पञ्च क्या कर रहा है,
आपके जाने के बाद कौन आ रहा है,
यह जान लो,

किन्तु अब पहरेदार पर भी,
शक होता है,
आखिर वह भी तो इंसान होता है,
तो फिर कैमरा लगा दो,
उसको ऐसी जगह छिपा दो,
सबके आने की खबर देगा,
कौन कैसे आता है,
बता देगा,

कोई न हो तो क्या करता है,
अकेले में क्या करता है,
खीजता है की हँसता है,
उसके सब भावों को पड़ लो,

किन्तु फिर भी पञ्च तो रखने पड़ेंगे,
और पंचों के ऊपर पहरेदार,
पहरेदार के ऊपर कैमरा,
यह रखना पड़ेगा,

ताड़ना ही है तो ताड़ के पेड़ पर जैसे,
फल होता है,
वैसे ही कैमरा उतना ऊपर लगाना,
कोई उसे न ताड़ पाए,
इस तरह उसे छिपाना ,
उसी कैमरे से सब का सब ताड़ लेना,

जान लेगा की आपके पास कौन-कौन आता है,
कुत्ता आपके अलावा और किसी को देख कर तो पूँछ नहीं हिलाता है,
अगर हिलाता है, तो फिर वह जरूर उसको कुछ खिलाता है,
गँवार अगर सियानी बात करे तो समझ जाना की,

इसको किसी ने पड़ाया है,
किसी के आने पर नौकर के चेहरे पर भाव बदलने लगें,
तो भी मामला आपके हाँथ में नहीं, रहा,
और स्त्री जब बात बनाने लगे,

तो मामला पूरा बिगड़ गया,
या तो वहाँ से भाग जाओ,
नहीं तो मारे जाओगे,
या फिर अनजान बने रहो,

और धीरे-धीरे, इनको ऐसी जगह पहुंचा दो,
जहाँ से फिर यह अगले जन्म में ही आ सकें,
क्यूंकि गद्दारी की सजा मौत है,
हर सत्ता इसको मानती है, की जो गद्दार है, उसे मौत देनी चाहिए,

तो इसके लिए खुद को सर बनाना पड़ेगा,
यानी सामने वाला कहता रहे, सर-सर,
और सर-सर कहकर सर खाता रहे,
उसके लिए सरपंच बनाना पडेगा,

यानी उन पांचो के सर का पञ्च,
यानी उनको हमेशा लड़ाता रहना पड़ेगा,
हर कोई किसी न किसी की शिकायत करे,
आज उसने यह कर दिया,

आज उसने यह कर दिया,
इससे सर का पञ्च मज़बूत रहेगा,
और सर का पञ्च फिर ताड़ से,
उनपर ऐसा गिरेगा, ताड़ का फल गिरेगा,

जिससे वह ताड़ते रह जायेंगे,
की यह कहाँ से आया,
और अपना काम सही करते जायेंगे,
आपके काम आते जायेंगे,

मारना न उनको, नहीं तो बहुत-कुछ छुपा जायेंगे,
बस ताड़ना उनको, और उसी ताड़ने में सब कुछ बता जायेंगे,
सर के सर बने रहोगे,
रात को आराम से सो सकोगे,

कहीं अपना राज़ न दे देना उनको,
नहीं तो सर होकर भी बेअसर, बने रहोगे,
सर-सर तो बजोगे,
पर अब जेब उनकी भरोगे,

आसरा अब उनका रहेगा,
राज़ जो उनके पास रहेगा,
इसलिए बदलते रहना उनको,
एक न होने देना उनको,

तकलीफ में गर हो,
कमज़ोर गर हो,
दूर चले जाना उनसे,
कहीं और इलाज़ कराना,

फिर सेहत बना होकर आ जाना,
नहीं तो यह पञ्च फिर सर पर सवार होंगे,
न जाने फिर क्या-क्या इनके अरमान होंगे,
सर तो तुम बने रहोगे, फरमान इनके होंगे,





                                                   
------- बेतखल्लुस

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1 टिप्पणियाँ:

नीरज द्विवेदी ने कहा…

बहुत ही कीमती ज्ञान दिया है आपने वो भी बहुत सुंदर तरीके से।
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Thanks for your valuable comment.