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कुछ तो लोग कहेंगे - 2

Written By Pappu Parihar Bundelkhandi on शुक्रवार, 7 अक्तूबर 2011 | 5:29 am



डॉ. निधि वर्मा
नज़रें ढूंढ रहीं हैं उन्हें,
जिन्हें देखते ही दिल में,
उल्फत-सी हो जाती है,
रौशनी-सी मिल जाती है,

सामने ही आ गए हैं वो,
नज़रें न भांप पायें मेरी,
चेहरा छिपा लेती हूँ मैं,
देख ही न पायें मुझे वो,

हाय दिल घबराता है,
चेहरा न दिखलाया जाता है,
पर क्या करें अब,
हुकुम जो उनका आता है,

कुछ तो लोग कहेंगे,
बहुत फनायत-सी कहानी है,
रूह-ए-फ़ना कर जाती है,
कुछ तो लोग कहेंगे,
कहानी जिन्दगी कह जाती है,

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