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फर्क केसा केसा ..........

Written By आपका अख्तर खान अकेला on रविवार, 28 अगस्त 2011 | 8:17 am


सभी इंसान हैं
मागर फर्क
सिर्फ इतना है ॥
कुछ जख्म देते हैं
कुछ जख्म भरते हैं ।
हम सफ़र सभी हैं
लेकिन फर्क
सिर्फ इतना है
कुछ साथ देते हैं
कुछ साथ छोड़ जाते हैं ....
प्यार सभी करते हैं
लेकिन फर्क सिर्फ इतना है
कुछ जान देते हैं
कुछ जान ले लेते हैं ।
दोस्ती सभी करते हैं
लेकिन फर्क सिर्फ इतना है
कुछ लोग निभाते हैं
कुछ लोग आजमाते हैं
और कुछ लोग यूँही
मंझधार में छोड़ जाते हैं ......
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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4 टिप्पणियाँ:

prerna argal ने कहा…

कुछ लोग निभाते हैं
कुछ लोग आजमाते हैं
और कुछ लोग यूँही
मंझधार में छोड़ जाते हैं
बहुत सुंदर अभिब्यक्ति /ब्यंग करती हुई शानदार रचना /बधाई आपको /


please visit my blog.thanks.
www.prernaargal.blogspot.com

mridula pradhan ने कहा…

bahut achchi loagi......

नीरज द्विवेदी ने कहा…

और कुछ लोग यूँही
मंझधार में छोड़ जाते हैं ....

Sundar aur sarthak

नीरज द्विवेदी ने कहा…

और कुछ लोग यूँही
मंझधार में छोड़ जाते हैं ....

Sundar aur sarthak

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