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जला हुआ घर आग निकलती भैरव राग सुनाऊँ

Written By Surendra shukla" Bhramar"5 on गुरुवार, 21 अप्रैल 2011 | 8:44 am



मै दुनिया को जगा रहा हूँ 
मेरे घर सब सोते 
गली बुहारूं मै दुनिया की 
घर सब-  कूड़े में सोते 
भाई मेरा पी कर आता  
बम -बम -बम -बम भोले
गा के -आधी रात जगाता
बीबी को फटकार कभी तो
माँ बापू का गला दबाता
लक्ष्मी गृह की -गृह क्लेश से
सहमी भूखी सोती
कितने सुन्दर प्यारे बच्चे
डर के सहमे सोते
वो क्या जानें प्यार क्या होता
धूल लपेटे-रोते
गवर्नमेंट अपनी सब देती
घर -राशन बिजली अरु पानी
खाना भी स्कूल पठाती
पर बच्चो को ना ला पाती
मेरा गुस्सा अपने भाई
अपनी बीबी पर आता
लिखता पढता मै समझाता
कुत्ते सा  भूंके मै जाता 
बहरे कान गाना सुनते
पोथी मेरी देते फेंक
कहते घर है जला जा रहा
मस्ती 'कवि' तुझको है आई
कहें भ्रमर क्या गला दबा दें
जिनके कारण- आग लगी है
पुलिस -जेल या फिर भिजवा दें
भाई है लेकिन मेरा वो
"माँ" तो मेरे बीच खड़ी है
लिखते पढ़ते हार थका मै
माँ की गोद में जा सो जाता
माँ को आँख दिखाता जब वो
होश गवां जब जब चिल्लाता
तब भूखा मै जाग-जाग कर
फिर कुछ लिखने को जाता
मेरी बीबी बहुत सुघड़ है
मधुर -मधुर समझाती
दिन भर-भोली-फुलवारी को
अपने रहे सजाती !!
कहती लिख दे सोहर-कजरी 
पुस्तक में छपवाए 
नाम के साथ तुम्हारे सजना 
दो पैसे भी आये 
हाथ पकड़ने जब जाऊं मै
झटक के बस है रोती

अच्छी बातें बोल बोलकर 
घूमूँ ईमां -धर्म- राग मै गाऊं
डरता हूँ इस पागल दुनिया में 
घूम घूम मै
पागल -ना बन जाऊं  
लोग आज लिए पत्थर हैं 
हाथ उठाये घूमें 
किस पर भाई करूँ भरोसा 
मजनू सा ना मै फंस जाऊं

तुम्ही बता दो
दिल गर तेरे
कुछ धड़कन है बाकी
अच्छा क्या ??  और कौन बुरा है??
कौन राह पकडूँ मै जाऊं
अंधियारे की राह -दिखा-ना
खायीं में गिर जाऊं !!




जला हुआ घर आग निकलती 
भैरव राग सुनाऊँ !!
या सुधरें -भाई -सब मेरे
या चुल्लू भर गंगा पानी
डूब मरूं -तर जाऊं .

सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर५ 
..२०११  
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3 टिप्पणियाँ:

हल्ला बोल ने कहा…

क्या आप सच्चे हिन्दू हैं .... ? क्या आपके अन्दर प्रभु श्री राम का चरित्र और भगवान श्री कृष्ण जैसा प्रेम है .... ? हिन्दू धर्म पर न्योछावर होने को दिल करता है..? सच लिखने की ताकत है...? महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवा जी, स्वामी विवेकानंद, शहीद भगत सिंह, मंगल पांडे, चंद्रशेखर आजाद जैसे भारत पुत्रों को हिन्दू धर्म की शान समझते हैं, भगवान शिव के तांडव को धारण करते हैं, जरूरत पड़ने पर कृष्ण का सुदर्शन चक्र उठा सकते हैं, भगवान राम की तरह धर्म की रक्षा करने के लिए दुष्टों का नरसंहार कर सकते हैं, भारतीय संस्कृति का सम्मान करने वाले हिन्दू हैं. तो फिर यह साझा ब्लॉग आपका ही है. एक बार इस ब्लॉग पर अवश्य आयें. जय श्री राम

नम्र निवेदन --- यदि आप सेकुलर और धर्मनिरपेक्ष हिन्दू बनते है तो आप जैसे लोग यहाँ पर आकर अपना समय बर्बाद न करें. पर चन्द शब्दों में हमें यह जरूर बताएं की सेकुलर और धर्मनिरपेक्षता का मतलब आपको पता है. यदि पता न हो तो हमसे पूछ सकते हैं. हम आपकी सभी शंकाओ का समाधान करेंगे.
हल्ला बोल-

shyam gupta ने कहा…

वाह ! क्या भैरव -राग सुनाया है, भ्रमर जी... कितने घरों की यही कहानी है----सच है दूसरों से लडना आसान है अपनों से अति-दुष्कर....

Surendra shukla" Bhramar"5 ने कहा…

डॉ श्याम जी नमस्कार सच कहा आप ने आदमी हारता है तो खुद अपनों से औरों से तो लड़ लेता है यदि हमारा अपना घर खुद नहीं सुधरे संवरे तो फिर काहे का राग क्या वसंत आग और भैरव दर्द और व्यथा बस ये सीने में समाये खाए जाती है और ये नशा हमारे पतन का कारण

धन्यवाद

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